डुमरी कलां गांव - एक अलग दुनिया

इंडिया और नेपाल से 5 किमी पहले बसा हुआ है ये डुमरी कलां गांव अपने आप मे ही एक अलग दुनिया (को बसा रखा) है। इस गांव के बारे में जितनी भी बातें की जाए वो सभी कम ही पड़ती है।

डुमरी कलां गांव - एक अलग दुनिया


बिहार राज्य के सीतामढ़ी जिले के मेजरगंज प्रखंड में स्थित यह डुमरी कलां गांव, गांव नही एक अलग ही दुनिया है।

यह डुमरी कलां गांव अपने आप में किसी स्मार्ट सिटी से कम नही है। जरूरत की सारी सुविधाएं इस गांव में ही लोगों को पूरी हो जाती है।


सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इस कोरोना महामारी में जहां पूरी दुनिया परेशान है, वहीं इस गांव के लोगो को इस महामारी से कोई फर्क ही नही पड़ा।

जैसे मानो की कोरोना कोई महामारी नही, कोई खेल बन के रह गया हो, यहां के लोगों के सामने।

इस गांव के 60-70% लोग दूसरे शहरों में काम करते है। कोई व्यापार करता है, तो कोई नौकरी, कोई कारखानों और फैक्टरियों में काम करता है, तो पढ़ने के लिए वहां रह रहा हैं।

डुमरी कलां गांव - एक अलग दुनिया

इस महामारी में जब वो वापस अपने इस गांव में आया तो उन लोगों को 15 दिनों के लिए इस गांव के प्राथमिक विद्यालय में क्वारेंटाइन रखा गया।

डुमरी कलां गांव - एक अलग दुनिया

लेकिन उससे पहले आपलोगों को ये बता दें कि इस गांव में जितने भी लोग रह रहे है उनमें से एक भी व्यक्ति इस कोरोना वायरस का शिकार नही हुआ और ना ही किसी भी व्यक्ति में इस महामारी के लक्षण दिखें।

डुमरी कलां गांव - एक अलग दुनिया

जबकि इसके आस-पास के गांव से कुछ लोगों में इस महामारी के लक्षण भी दिखें।

जब इस बारे में यहां के लोगों से पूछा गया तो उनलोगों का कहना था कि उन लोगों पर इस गांव की देवी-देवताओं की कृपा है।

जहां सारी दुनिया इस महामारी काल में अपने घरों के अंदर ही रहते थे वहीं यहां के लोग रोज अपनी दिनचर्याओं में लगे ही रहते थे, जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।

ना किसी को इस कोरोना का भय और ना ही उसके शिकार होने का। इस गांव का एक भी व्यक्ति इस कोरोना का शिकार नही हुआ।

ये अपने आप में ही एक रिकॉर्ड है। कि सारी दुनिया इस महामारी से परेशान और यहाँ के लोगों को कोई चिंता ही नही।

डुमरी कलां गांव - एक अलग दुनिया

ना इस महामारी से यहां के बूढ़े-बच्चे डर रहे है ना ही बड़े। वैसे भी इस कोरोना वायरस को लेकर यहां अब कोई बातें भी नही होती है। एक-दो लॉकडाउन के दौरान यहां थोड़ी-बहूत सख्ती थी लेकिन धीरे-धीरे वो सभी खत्म हो गए।

अब यहां के लोग पहले के ही भांति अपना काम-काज करते है।

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